Movie/Album: Hum Dil De Chuke Sanam (1999)
Music By: Ismail Darbaar
Lyrics By: Mahboob
Performed By: Hari Haran
Jhonka Hawa Ka Aaj Bhi,
Zulfen Udata Hoga Na.
Tera Dupatta, Aaj Bhi
Tere, Sir Se Sarakta Hoga Na.
Baalo Main Tere Aaj Bhi,
Phool Koi Sajta Hoga Na.
Thandi Hawayen, Raaton Mai
Tujhko, Thapkiyan Deti Hogi Na.
Chand Ki Thandak, Khabon
Mai Tujhko, Lekar Tou Jaati hogi Na.
Suraj Ki Kirne, Subha Ko
Teri, Neende Udati Hogi Na.
Mere Khayalon Main Sanam,
Khud Se Hi Baaten Karti Hogi Na.
Main Dekhta Hoon, Chup
Chup Ke Tumko, Mahsoos Karti Hogi Na.
Jhonka Hawa Ka Aaj bhi......
Kagaz Pe Meri, Tasweer
Jaisi, Kuch Tou Banati Hogi na.
Ulat Palat Ke, Dekh Kar
Usko, Jee Bhar Ke Hansti Hogi Na.
Hanste Hanste Aankhen
Tumhari, Bhar Bhar Aati Hogi Na.
Mujhko Dhaka Tha, Dhoop
Mai Jisse, Wo Aanchal Bheegoti Hogi Na.
Sawan Ki Rim Jhim, Mera
Tarana, Yaad Dilati Hogi Na.
Ek Ek Meri Baaten Tumko,
Yaad Tou Aati Hogi Na.
Kiya Tum Mere, En Sab
Sawalon Ka, Kuch Tou Jawab Dogi Na.
झोंका हवा का आज भी, ज़ुल्फ़ें उड़ाता होगा ना
तेरा दुपट्टा, आज भी तेरे, सर से सरकता होगा ना
बालों में तेरे आज भी, फूल कोई सजता होगा ना
ठण्डी हवाएं रातों में, तुझको थपकियाँ देती होंगी ना
चाँद की ठण्डक ख़्वाबों में, तुझको लेके तो जाती होगी ना
सूरज की किरणें, सुबह को तेरी, नींदें उड़ाती होंगी ना
मेरे ख़यालों में सनम, खुद से ही बातें करती होगी ना
मैं देखता हूँ, छुप-छुप के तुमको, महसूस करती होगी ना
झोंका हवा का...
काग़ज़ पे मेरी, तसवीर जैसी, कुछ तो बनाती होगी ना
उलट-पलट के, देख के उसको, जी भर के हँसती होगी ना
हँसते-हँसते आँखें तुम्हारी, भर-भर आती होंगी ना
मुझको ढका था धूप में जिससे, वो आँचल भीगोती होगी ना
सावन की रिमझिम, मेरा तराना, याद दिलाती होगी ना
इक इक मेरी बातें तुमको, याद तो आती होगी ना
क्या तुम मेरे इन सब सवालों का कुछ तो जवाब दोगी ना
तेरा दुपट्टा, आज भी तेरे, सर से सरकता होगा ना
बालों में तेरे आज भी, फूल कोई सजता होगा ना
ठण्डी हवाएं रातों में, तुझको थपकियाँ देती होंगी ना
चाँद की ठण्डक ख़्वाबों में, तुझको लेके तो जाती होगी ना
सूरज की किरणें, सुबह को तेरी, नींदें उड़ाती होंगी ना
मेरे ख़यालों में सनम, खुद से ही बातें करती होगी ना
मैं देखता हूँ, छुप-छुप के तुमको, महसूस करती होगी ना
झोंका हवा का...
काग़ज़ पे मेरी, तसवीर जैसी, कुछ तो बनाती होगी ना
उलट-पलट के, देख के उसको, जी भर के हँसती होगी ना
हँसते-हँसते आँखें तुम्हारी, भर-भर आती होंगी ना
मुझको ढका था धूप में जिससे, वो आँचल भीगोती होगी ना
सावन की रिमझिम, मेरा तराना, याद दिलाती होगी ना
इक इक मेरी बातें तुमको, याद तो आती होगी ना
क्या तुम मेरे इन सब सवालों का कुछ तो जवाब दोगी ना
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